यूनेस्को द्वारा घोषित भारत के विश्व धरोहर स्थल | भारत के विश्व धरोहर स्थल |
यूनेस्को द्वारा घोषित भारत के विश्व धरोहर स्थल
यूनेस्को (UNESCO) का पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन( United Nations Educational Scientific and Cultural Organisation) है.
संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों ने 16 नवंबर साल 1945 को UNESCO की स्थापना की थी . भारत साल 1946 में इस संगठन का सदस्य बना था | इसका मुख्यालय पेरिस में है |
1. एलीफेंटा की गुफाएं - महाराष्ट्र
भारत में मुम्बई के गेट वे ऑफ इण्डिया से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित एक स्थल है जो अपनी कलात्मक गुफाओं के कारण प्रसिद्ध है। यहाँ कुल सात गुफाएँ हैं। मुख्य गुफा में 26 स्तंभ हैं, जिसमें शिव को कई रूपों में उकेरा गया हैं। पहाड़ियों को काटकर बनाई गई ये मूर्तियाँ दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित है। इसका ऐतिहासिक नाम घारपुरी है। यह नाम मूल नाम अग्रहारपुरी से निकला हुआ है।
ये गुफाएँ ठोस पाषाण से काट कर बनायी गई हैं।
- एलिफेंटा नाम पुर्तगालियों द्वारा यहाँ पर बने पत्थर के हाथी के कारण दिया गया था।
- यहाँ हिन्दू धर्म के अनेक देवी देवताओं कि मूर्तियाँ हैं।
- ये मंदिर पहाड़ियों को काटकर बनाये गए हैं।
- यहाँ भगवान शंकर की नौ बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ हैं जो शंकर जी के विभिन्न रूपों तथा क्रियाओं को दिखाती हैं।
- इनमें शिव की त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे आकर्षक है। यह मूर्ति 23 या 24 फीट लम्बी तथा 27 फीट ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शंकर के तीन रूपों का चित्रण किया गया है।
- और इस मूर्ति में शंकर भगवान के मुख पर अपूर्व गम्भीरता दिखती है।
2. एलोरा की गुफाएं - महाराष्ट्र
एलोरा एक पुरातात्विक स्थल है, जो भारत में औरंगाबाद, महाराष्ट्र से 30 km की दूरी पर स्थित है। इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। अपनी स्मारक गुफाओं के लिए प्रसिद्ध, एलोरा युनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल है।
इन्हें ऊँची बेसाल्ट की खड़ी चट्टानों की दीवारों को काट कर बनाया गया हैं।
- एलोरा भारतीय पाषाण शिल्प स्थापत्य कला का सार है,
- यहाँ 34 "गुफ़ाएँ" हैं
- जो असल में एक ऊर्ध्वाधर खड़ी चरणाद्रि पर्वत का एक फ़लक है।
- इसमें हिन्दू, बौद्ध और जैन गुफा मन्दिर बने हैं।
- ये पाँचवीं और दसवीं शताब्दी में बने थे।
- यहाँ 12 बौद्ध गुफाएँ (1-12), 17 हिन्दू गुफाएँ (13-29) और 5 जैन गुफाएँ (30-34) हैं। ये सभी आस-पास बनीं हैं
- और अपने निर्माण काल की धार्मिक सौहार्द को दर्शाती हैं।
3. अजंता की गुफाएं - महाराष्ट्र
अजंता कि गुफाएँ एक घने जंगल से घिरी है , जो अश्व नाल आकार घाटी में अजंता गाँव से 3½ कि॰मी॰ दूर बनी है। यह गाँव महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से 106 कि॰मी॰ दूर बसा है। इसका निकटतम कस्बा है जलगाँव, जो 60 कि॰मी॰ दूर है, भुसावल 70 कि॰मी॰ दूर है। इस घाटी की तलहटी में पहाड़ी धारा वाघूर बहती है। यहाँ कुल 29 गुफाएँ (भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा आधिकारिक गणनानुसार) हैं, जो कि नदी द्वारा निर्मित एक प्रपात के दक्षिण में स्थित है।
नैशनल ज्यॉग्राफिक के अनुसार - आस्था का बहाव ऐसा था कि प्रतीत होता है, जैसे शताब्दियों तक अजंता समेत, लगभग सभी बौद्ध मंदिर, उस समय के बौद्ध मत के शासन और आश्रय के अधीन बनवाये गये हों।
- यहाँ बौद्ध धर्म से सम्बन्धित चित्रण एवम् शिल्पकारी के उत्कृष्ट नमूने मिलते हैं।
- इनके साथ ही सजीव चित्रण भी मिलते हैं।
- यह गुफाएँ अजंता नामक गाँव के सन्निकट ही स्थित है, जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है
- अजंता गुफाएँ सन् 1983 से युनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित है।
4. छत्रपति शिवाजी टर्मिनल - महाराष्ट्र
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, पूर्व में जिसे विक्टोरिया टर्मिनस कहा जाता था,
एवं अपने लघु नाम वी.टी., या सी.एस.टी. से अधिक प्रचलित है। यह भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई का एक ऐतिहासिक रेलवे-स्टेशन है, जो मध्य रेलवे, भारत का मुख्यालय भी है। यह भारत के व्यस्ततम स्टेशनों में से एक है, जहां मध्य रेलवे की मुंबई में, व मुंबई उपनगरीय रेलवे की मुंबई में समाप्त होने वाली रेलगाड़ियां रुकती व यात्रा पूर्ण करती हैं।
इस स्टेशन की अभिकल्पना फ्रेडरिक विलियम स्टीवन्स, वास्तु सलाहकार 1887-1888, ने 16.14 लाख रुपयों की राशि पर की थी।
- इस स्टेशन की इमारत विक्टोरियन गोथिक शैली में बनी है।
- इस इमारत में विक्टोरियाई इतालवी गोथिक शैली एवं परंपरागत भारतीय स्थापत्यकला का संगम झलकता है।
- इसके अंदरूनी भागों में लकड़ी की नक्काशि की हुई टाइलें, लौह एवं पीतल की अलंकृत मुंडेरें व जालियां, टिकट-कार्यालय की ग्रिल-जाली व वृहत सीढ़ीदार जीने का रूप, बम्बई कला महाविद्यालय (बॉम्बे स्कूल ऑफ आर्ट) के छात्रों का कार्य है।
- यह स्टेशन अपनी उन्नत संरचना व तकनीकी विशेषताओं के साथ, उन्नीसवीं शताब्दी के रेलवे स्थापत्यकला आश्चर्यों के उदाहरण के रूप में खड़ा है।
- 2 जुलाई, 2004 को इस स्टेशन को युनेस्को की विश्व धरोहर समिति द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
5. सांची स्तूप - मध्यप्रदेश
सांची भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले, में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह राजधानी भोपाल से लगभग 46 कि॰मी॰ दूर स्थित है , तथा बेसनगर और विदिशा जिले से 10 कि॰मी॰ की दूरी पर मध्य-प्रदेश के मध्य भाग में स्थित है। यहां कई बौद्ध स्मारक हैं, जो तीसरी शताब्दी ई.पू से बारहवीं शताब्दी के बीच के काल के हैं। सांची में रायसेन जिले की एक नगर पंचायत है। यहीं एक महान स्तूप स्थित है। इस स्तूप को घेरे हुए कई तोरण भी बने हैं। यह प्रेम, शांति, विश्वास और साहस के प्रतीक हैं। सांची का महान मुख्य स्तूप, मूलतः सम्राट अशोक महान ने तीसरी शती, ई.पू. में बनवाया था |
6. खजुराहो मंदिर - मध्यप्रदेश
खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में 'खजूरपुरा' और 'खजूर वाहिका' के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनिया भर के आगन्तुक और पर्यटक प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते है। हिन्दू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था। विभिन्न कामक्रीडाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के उभारा गया है।
खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है।
- खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है।
- ये शहर चन्देल साम्राज्य की प्रथम राजधानी था।
- चन्देल वंश और खजुराहो के संस्थापक चन्द्रवर्मन थे।
- चन्द्रवर्मन मध्यकाल में बुंदेलखंड में शासन करने वाले राजपूत राजा थे।
- वे अपने आप को चन्द्रवंशी मानते थे।
- चंदेल राजाओं ने दसवीं से बारहवी शताब्दी तक मध्य भारत में शासन किया।
- खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं के बीच इन्हीं चन्देल राजाओं द्वारा किया गया।
- मंदिरों के निर्माण के बाद चन्देलो ने अपनी राजधानी महोबा स्थानांतरित कर दी। लेकिन इसके बाद भी खजुराहो का महत्व बना रहा।
7. भीमबेटका गुफा - मध्यप्रदेश
भीमबेटका भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं। यह स्थल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 45 किमी दक्षिणपूर्व में स्थित है। इनकी खोज वर्ष 1957-1958 में डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी।
- यहाँ 600 शैलाश्रय हैं जिनमें 275 शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं।
- पूर्व पाषाण काल से मध्य ऐतिहासिक काल तक यह स्थान मानव गतिविधियों का केंद्र रहा|
- यह बहुमूल्य धरोहर अब पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है।
- भीमबेटका क्षेत्र में प्रवेश करते हुए शिलाओं पर लिखी कई जानकारियाँ मिलती हैं।
- यहाँ के शैल चित्रों के विषय मुख्यतया सामूहिक नृत्य, रेखांकित मानवाकृति, शिकार, पशु-पक्षी, युद्ध और प्राचीन मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलापों से जुड़े हैं।
- चित्रों में प्रयोग किये गए खनिज रंगों में मुख्य रूप से गेरुआ, लाल और सफेद हैं और कहीं-कहीं पीला और हरा रंग भी प्रयोग हुआ है।
8. कोणार्क का सूर्य मंदिर - ओडिशा
कोणार्क सूर्य मन्दिर भारत में उड़ीसा राज्य में जगन्नाथ पुरी से 35 किमी उत्तर-पूर्व में कोणार्क नामक शहर में प्रतिष्ठित है। यह भारतवर्ष के चुनिन्दा सूर्य मन्दिरों में से एक है। सन् 1984 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है। इस मन्दिर की भावनाओ को यंहा के पत्थरों पर किये गए उत्कृष्ट नकासी ही बता देता है |
धार्मिक मान्यताओ के और इतिहास के अनुसार आप इस मंदिर का इतिहास विकिपीडिया से प्राप्त कर सकते है |
9. मानस वन्य जीव अभयारण्य - असम
मानस राष्ट्रीय उद्यान या मानस वन्यजीव अभयारण्य, असम, भारत में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान हैं। यह अभयारण्य यूनेस्को द्वारा घोषित एक प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल, बाघ के आरक्षित परियोजना, हाथियों के आरक्षित क्षेत्र एक आरक्षित जीवमंडल हैं। हिमालय की तलहटी में स्थित यह अभयारण्य भूटान के रॉयल मानस नेशनल पार्क के निकट है। यह पार्क अपने दुर्लभ और लुप्तप्राय स्थानिक वन्यजीव के लिए जाना जाता है जैसे असम छत वाले कछुए, हेपीड खरगोश, गोल्डन लंगुर और पैगी हॉग। मानस जंगली भैंसों की आबादी के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ एक सींग का गैंडा (भारतीय गेंडा) और बारहसिंघा के लिए विशेष रूप से पाये जाते है।
इसे 1985 में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया था लेकिन अस्सी के दशक के अंत और नब्बे के दशक के शुरू में बोडो विद्रोही गतिविधियों के कारण इस उद्यान को 1992 में विश्व धरोहर स्थल सूची से हटा लिया गया था। जून 2011 से यह पुनः यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल कर लिया गया है।
इस पार्क का नाम मानस नदी पर रखा गया है, जिसे सर्पों की देवी मनसा के नाम पर रखा गया है। मानस नदी ब्रह्मपुत्र नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है, जो इस राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य केंद्र से होकर गुजरती है।
- 1 अक्टूबर 1928 को 360 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के साथ मानस नेशनल पार्क को अभयारण्य घोषित किया गया था।
- मानस बायो रिज़र्व की स्थाफ्ना 1973 में बनाया गया था।
- अभयारण्य की घोषणा से पहले यह एक आरक्षित वन था जिसे मानस आर.एफ. और उत्तर कामरूप आर.एफ. के नाम से जाना जाता था इसका प्रयोग कूच बिहार का शाही परिवार और गौरीपुर के राजा शिकार के लिए आरक्षित रूप में करते थे।
- 1951 और 1955 में क्षेत्र को बढ़ाकर किलोमीटर कर दिया गया।
- यह यूनेस्को द्वारा दिसंबर 1985 में एक विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
10. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान - असम
11. हुमायूं का मकबरा - दिल्ली
12. लाल किला - दिल्ली
13. कुतुबमीनार - दिल्ली
14. महाबोधी मंदिर, गया - बिहार
15. मुगल सिटी, फतेहपुर सिकरी - उत्तर प्रदेश
16. ताजमहल, आगरा - उत्तर प्रदेश
17. आगरा का किला - उत्तर प्रदेश
18. नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान - उत्तराखंड
19. दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे - प. बंगाल
20. सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान - प. बंगाल
21. पुराने गोवा के चर्च - गोवा
22. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान - राजस्थान
23.पट्टदकल स्मारक समूह - कर्नाटक
24. विट्ठल स्वामी मंदिर - कर्नाटक
25. हम्पी स्मारक समूह - कर्नाटक
26. वृहदेश्वर मंदिर तंजावुर - तमिलनाडु
27. महाबलीपुरम का मंदिर - तमिलनाडु
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