हिन्दी में वर्ण, वर्णमाला, स्वर, और वयंजन किसे कहते है |

हिन्दी में वर्ण, वर्णमाला, स्वर, और व्यंजन किसे कहते है |


➡️ वर्ण किसे कहते हैं ?

वह छोटी से छोटी ध्वनि जिसके टुकड़े या खंड न किए जा सकें, उसे वर्ण कहते हैं।

उदाहरण :- अ, इ, क, ख, च आदि। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है।


➡️ वर्ण के कितने भेद हैं -

वर्ण के दो भेद हैं :-

1. स्वर  2. व्यंजन


➡️ वर्णमाला किसे कहते हैं -

वर्णों के क्रमबद्ध समूह को ही वर्णमाला कहते हैं।

हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण हैं, जिनमें 11 स्वर और 33 व्यंजन हैं।


➡️ स्वर किसे कहते हैं? इसके कितने प्रकार हैं?

जिन ध्वनियों या वर्णों के उच्चारण में अन्य वर्णों की सहायता न लेनी पड़े, उन्हें स्वर कहते हैं।

उदाहरण :- अ, आ, इ, ई, उ आदि।


➡️ हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या 11 है।

स्वर के तीन भेद हैंः-

1. ह्नस्व स्वर

2. दीर्घ स्वर

3. प्लुत स्वर


1. ह्नस्व स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में कम-से-कम समय लगे, उन्हें ह्नस्व स्वर कहते है| या जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगे, उन्हें  ह्नस्व स्वर कहते है|

उदहारण :- अ, इ, उ, ऋ

हिन्दी में कुल ह्नस्व स्वर है| इन्हें मूल स्वर भी कहते है|


2. दीर्घ स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में ह्नस्व स्वर से दुगुना समय लगे, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। या जिन     स्वरों के उच्चारण में दो मात्रा का समय लगे, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।

उदाहरण :- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

हिंदी में कुल सात स्वर हैं, जिनका उच्चारण दीर्घ रूप में होता है।


3. प्लुत स्वरः- जिन स्वरों के उच्चारण में ह्नस्व स्वर से तीन गुणा अधिक समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। या जिन स्वरों के उच्चारण में तीन मात्रा का समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं।

उदाहरणः- ओ3म, हे राम! 

इन्हें त्रिमात्रिक स्वर भी कहते हैं।


➡️अयोगवाह किसे कहते हैं?

हिंदी वर्णमाला में अं तथा अः को अयोगवाह शब्द की संज्ञा दी जाती है। इन्हें स्वरों के साथ तो रखा गया है किन्तु स्वतंत्र गति न होने के कारण इन्हें स्वर नहीं माना जाता है। स्वरों के साथ प्रयुक्त होने के कारण ये व्यंजनों की श्रेणी में भी नहीं आते हैं।

स्वरों तथा व्यंजनों में से किसी के साथ योग न होने के बावजूद ये ध्वनि वहन करते हैं, इसलिए इन्हें अयोगवाह कहा जाता है।


➡️ स्वरों की मात्राएँ क्या हैं?

स्वर जब व्यंजन के साथ मिलते हैं तो उनका रूप बदल जाता है, इस बदले हुए रूप को ‘मात्रा’ कहा जाता है। अ के अतिरिक्त शेष स्वरों को जब व्यंजनों के साथ प्रयुक्त किया जाता है तो उनकी मात्राएँ ही लगती हैं। अ की मात्रा नहीं होती। अ से रहित व्यंजनों को हलंत () लगाकर दिखाया जाता है।

उदाहरणः- क् + अ = क

             ख् + अ = ख


➡️ अनुस्वार तथा अनुनासिक में क्या अंतर है -

अनुस्वार :- जब वर्ण का उच्चारण केवल नासिका से हो तब वह अनुस्वार कहलाता है।

हिंदी में अं तथा प्रत्येक वर्ग ( कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग तथा पवर्ग ) का पंचम वर्ण ( ड., ञा, ण, न तथा म ) अनुस्वार हैं।

उदाहरण :- चंचल, अंक, रंक, पंख, गंगा आदि।


अनुनासिक :- जब वर्ण का उच्चारण नासिका तथा मुख दोनों से समान रूप से हो तब वह अनुनासिक कहलाता है।

उदाहरण :- पाँच, काँच, आँख आदि।


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➡️ व्यंजन किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार के होते हैं?

जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है, उन्हें व्यंजन कहते हैं।

हिंदी वर्णमाला में व्यंजनों की कुल संख्या 33 है।

व्यंजन तीन प्रकार के होते हैं :-

1. स्पर्श व्यंजन

2. अंतस्थ व्यंजन

3. ऊष्म व्यंजन


1.स्पर्श व्यंजन :- जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में श्वास-वायु मुख के अलग-अलग भागों को स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन हैं।

हिंदी वर्णमाला में इनकी संख्या 25 है। 


कवर्ग  क ख ग घ ड.

चवर्ग  च छ ज झ ञ

टवर्ग  ट ठ ड ढ ण

तवर्ग  त थ द ध न

पवर्ग  प फ ब भ म


अंतःस्थ व्यंजनः- अंतःस्थ शब्द का अर्थ है- मध्य या बीच में स्थित। हिंदी वर्णमाला के कुछ व्यंजन, स्वर तथा व्यंजन के मध्य आते हैं। इन्हें अंतःस्थ व्यंजन कहते हैं।

इनकी संख्या 4 है। य, र, ल, व 





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