BSc Physics Answer 3rd (Final) Year 2021 BU Bhopal Open Book Exam 2021

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Q.1 कॉम्पटन प्रभाव को समझाइये।


जब किसी फोटोन को किसी पदार्थ पर डाला जाता है तो यह फोटोन पदार्थ के इलेक्ट्रॉन से टकराता है और टक्कर (संघट्ट) के बाद फोटोन का प्रकीर्णन हो जाता है , इलेक्ट्रॉन द्वारा फोटोन के प्रकीर्णन को कॉम्पटन प्रभाव कहते है।


कॉम्पटन प्रभाव प्रकाश और अन्य विद्युत चुम्बकीय विकिरण से ऊर्जा का संक्रमण है, जैसे कि एक्स-रे और गामा किरणें, इलेक्ट्रॉनों जैसे स्थिर उप-परमाणु कणों तक। यह अवलोकन प्रभाव इस सिद्धांत को विश्वास दिलाता है कि प्रकाश फोटॉन नामक कणों से बना है। हस्तांतरित ऊर्जा औसत दर्जे का है और बातचीत ऊर्जा के संरक्षण के नियमों के अनुरूप है। यानी, टक्कर से पहले फोटॉन और इलेक्ट्रॉन की संयुक्त ऊर्जा टकराव के बाद दो कणों की संयुक्त ऊर्जा के बराबर होती है। एक द्वितीयक और संबंधित, फोटॉन और इलेक्ट्रॉनों के टकराव के परिणाम को कॉम्पटन बिखरने के रूप में जाना जाता है, जिसे टकराव के बाद फोटॉनों की दिशा में बदलाव के साथ-साथ उनकी तरंग दैर्ध्य में बदलाव के रूप में भी देखा जाता है। 



कॉम्पटन प्रभाव



Q.2 एक विमीय विमय कूप में कण की गति को समझाइये।


जब कोई वस्तु या पिंड एक सरल रेखा में समय के साथ अपनी स्थिति में परिवर्तन करती है या गतिमान होती है, तो इस गति को हम एक विमीय गति कहतें है | इस गति में मुख्य रूप से वस्तु की चौड़ाई और पार्श्व गतियों को हटा दिया जाता है |


इस गति में केवल दो दिशाये संभव है इसलिए इनके दिशात्मक पक्ष को – और + चिन्हों से अंकित कर सकते है | इनमें दो निर्देशांक उपस्थित नही होते केवल एक ही निर्देशांक होता है|


जब किसी वस्तु या पिंड के x,y,z निर्देशांक में से कोई एक निर्देशांक अपनी स्थिती में समय के साथ परिवर्तन करता है तो इसे हम एक विमीय या सरल रेखीय गति कहतें है |


उदाहरण:-

#1 मान लीजिए आपने एक तार जो की दोनों सिरों से बधा हुआ है, उसमें एक कीड़ा सीधा चलता है,तो उसकी गति एक विमीय गति होगी क्यूंकि वह कीड़ा एक सरल रेखा में गति कर रहा होता है |


Q.3 Electron की चक्रण अभिधारणा क्या है ? समझाइये।

एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान काफी कम होता है, यह एक अणु और प्रोटोन और न्यूट्रॅान से भी काफी कम होता है। इलेक्ट्रॉन का शेष द्रव्यमान 9.10938356 × 10^-31 किग्रा है , जो कि प्रोटॉन के केवल 1 / 1,836 के बराबर है। इसलिए एक इलेक्ट्रॉन को प्रोटॉन या न्यूट्रॉन की तुलना में लगभग बेकार माना जाता है, और इलेक्ट्रॉन द्रव्यमान को परमाणु के द्रव्यमान की गणना में शामिल नहीं किया जाता है।इलेक्ट्रॉन बहुत ही छोटे कण होते हैं और यह किसी भी परमाणु में उतनी ही संख्या में होते हैं जितनी संख्या में उस परमाणु में पॉजिटिव चार्ज पार्टिकल्स होते हैं. ये अपने Nucleus की परिक्रमा करते हैं. परिक्रमा के दौरान इनकी स्पीड बहुत तेज होती है|

इलेक्ट्रॉनों में कणों और तरंगों के गुण होते हैं: वे अन्य कणों के साथ टकरा सकते हैं और प्रकाश की तरह फैल सकता है इलेक्ट्रॉनों के आकार बादलों के समान हैं जो एक परमाणु के नाभिक के चारों ओर होते हैं। एक इलेक्ट्रॉन एक निश्चित मात्रा में ऊर्जा रखता है। जो कि इसके विपरीत विरोध वाले नाभिक से इसकी दूरी बनाए रखती है। इस ऊर्जा के साथ, इलेक्ट्रॉन नाभिक में नहीं गिरता हैं।


इलेक्ट्रान की निम्न विशेषता होती है :—


  • इलेक्ट्रान प्रत्येक परमाणु का एक अनिवार्य घटक है ।
  • इस पर ऋणावेश होता है।
  • इसका द्रव्यमान 9.11E−31 होता है।
  • इलेक्ट्रान परमाणु के नाभिक के चारो और अपनी निष्चित कक्षाओ में चक्कर लगाते रहते है।


Q.4 समस्थानिक प्रभाव को समझाइये।

समस्थानिक (Isotope) एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती हैं, परन्तु परमाणु भार अलग-अलग होता है, उन्हें समस्थानिक कहा जाता है। इनमें प्रत्येक परमाणु में समान प्रोटोन होते हैं। जबकि न्यूट्रॉन की संख्या अलग अलग रहती है। इस कारण परमाणु संख्या तो समान रहती है, लेकिन परमाणु का द्रव्यमान अलग अलग हो जाता है। समस्थानिक का अर्थ "समान स्थान" से है। आवर्त सारणी में तत्वों को परमाणु संख्या के आधार पर अलग अलग रखा जाता है, जबकि समस्थानिक में परमाणु संख्या के समान रहने के कारण उन्हें अलग नहीं किया गया है, इस कारण इन्हें समस्थानिक कहा जाता है।

परमाणु के नाभिक के भीतर प्रोटोन की संख्या को परमाणु संख्या कहा जाता है, जो बिना आयन वाले परमाणु के इलेक्ट्रॉन के बराबर होते हैं। प्रत्येक परमाणु संख्या किसी विशिष्ट तत्व की पहचान बताता है, लेकिन ऐसा समस्थानिक में नहीं होता है। इसमें किसी तत्व के परमाणु में न्यूट्रॉन की संख्या विस्तृत हो सकती है। प्रोटोन और न्यूट्रॉन की संख्या उस परमाणु का द्रव्यमान संख्या होता है और प्रत्येक समस्थानिक में द्रव्यमान संख्या अलग अलग होता है।

उदाहरण के लिए, कार्बन के तीन समस्थानिक कार्बन-12, कार्बन-13 और कार्बन-14 हैं। इनमें सभी का द्रव्यमान संख्या क्रमशः 12, 13 और 14 है। कार्बन में 6 परमाणु होता है, जिसका मतलब है कि कार्बन के सभी परमाणु में 6 प्रोटोन होते हैं और न्यूट्रॉन की संख्या क्रमशः 6, 7 और आठ है। 




Q.5 द्रव्यमान क्षति के आधार पर नाभिक के स्थायित्व को समझाये।

द्रव्यमान क्षति (mass defect) : सामान्यता हम कहते है कि किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान का योग , नाभिक के द्रव्यमान के बराबर होता है लेकिन प्रयोगों और अध्ययनों से यह पाया गया कि नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के योग से भिन्न होता है।

प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के योग और नाभिक के वास्तविक द्रव्यमान में अंतर को ही द्रव्यमान क्षति कहा जाता है।

यह पाया गया कि नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान , प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के अलग द्रव्यमान के योग से कम प्राप्त होता है। ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि नाभिक के संघटन में या बनने में कुछ ऊर्जा खर्च हो जाती है जिससे नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान कुछ कम प्राप्त होता है।

नाभिक के निर्माण में ऊर्जा खर्च होने से नाभिक के वास्तविक द्रव्यमान में आयी कमी को द्रव्यमान क्षति कहा जाता है।

द्रव्यमान क्षति को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है या प्रदर्शित किया जाता है –

द्रव्यमान क्षति =  ( न्यूट्रॉन का द्रव्यमान + प्रोटॉन का द्रव्यमान) – नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान

यही ऊर्जा है जो नाभिक को बनाये रखती है या स्थायी रखती है , बाँधे रखती है।


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